उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित झांसी जनपद न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा का स्रोत रहा है। झांसी की स्थापना 17वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने की थी। पहले इस स्थान को ‘बालवंटनगर’ कहा जाता था, जो बाद में एक छोटे किले के निर्माण के कारण ‘झांसी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का अद्भुत साहस और बलिदान आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
आज के इस लेख में हम आपको झांसी के आस पास मध्य प्रदेश राज्य में स्थित कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जगहों के बारे बताने वाले है, जहां जाकर आप आपने मन को शांति दे सकते है और एक अद्भुत अनुभूति प्राप्त कर सकते है. तो चलिए शुरू करते है।
दतिया (Datia)
दतिया (म.प्र.): झांसी से दतिया की दूरी लगभग 28 कि.मी है. दतिया, मध्य प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है, जिसका उल्लेख महाभारत में “दैत्यवक्र” के रूप में मिलता है। यह सिद्धपीठ श्री पीताम्बरा देवी के भक्तों के लिए एक तीर्थ स्थल है। दतिया में घूमने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल गोपेश्वर मंदिर और राजा बीर सिंह जू देव का सात मंजिला महल है.
शिवपुरी (Shivpuri)
शिवपुरी (म.प्र.) झांसी से शिवपुरी की दूरी लगभग 101 कि.मी. है. शिवपुरी, पुराने ज़माने में ग्वालियर के सिंधिया शासकों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। यह अपने जंगलों, जंगली जानवरों और वाइल्ड लाइफ के लिए प्रसिद्ध है। शिवपुरी में महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल माधव राष्ट्रीय उद्यान, माधव विलास पैलेस, जॉर्ज कैसल और भदैया कुंड है.
सोनागिरि (Sonagiri)
झांसी से सोनागिरी की दूरी लगभग 45 कि.मी. है. यह मध्य प्रदेश राज्य के दतिया जिले में स्थित है. सोनागिर जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. सोनागिरि के पहाड़ियों और उसकी ढलानों पर लगभग 108 जैन मंदिर बने हैं. यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते है.
खजुराहो (Khajuraho)
खजुराहो की झांसी से दूरी लगभग 178 किमी. है. खजुराहो के मंदिर दुनिया के लिए एक दुर्लभ उपहार हैं। इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजपूतों के द्वारा 950 ई. से 1050 ई. के बीच लगभग 100 वर्षों की अवधि में किया गया था।

कंदरिया महादेव मंदिर सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह 116 फीट ऊंचा है और इसमें आकर्षक सुंदरता की सबसे बड़ी संख्या में मूर्तियां हैं। अन्य महत्वपूर्ण मंदिर चौसठ योगिनी मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर, वराह मंदिर, वामन मंदिर, आदिनाथ मंदिर, चतुर्भुज और दुलादेव मंदिर हैं।
बरुआसागर (Baruasagar)
झांसी से बरुआसागर दूरी लगभग 24 किमी है. बरुआसागर का नाम बरुआसागर ताल नामक एक बड़ी झील के नाम पर रखा गया है। इस झील को लगभग 260 साल पहले ओरछा के राजा उदित सिंह ने बनवाया था। ग्रेनाइट से बने दो पुराने चंदेला मंदिरों के खंडहर झील के उत्तर-पूर्व में हैं। पुराने मंदिर को घुघुआ मठ कहा जाता है। पास में ही गुप्त काल का मंदिर है जिसे जराई-का-मठ कहा जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
ओरछा (Orcha)
झांसी से ओरछा की दूरी लगभग 18 किमी है.. ओरछा, बेतवा नदी के किनारे बसा एक प्राचीन शहर है। यह स्थान राजा राम के मंदिर और कई अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। बुंदेला सरदार रुद्र प्रताप सिंह ने 16वीं शताब्दी में ओरछा की स्थापना की थी। ओरछा में घूमने के लिए जहांगीर महल, राज महल, राय प्रवीण महल, लक्ष्मी नारायण मंदिर और चतुर्भुज मंदिर मुख्य ऐतिहासिक भवनें हैं.
