Rashtrapati Bhavan History: भारत के राष्ट्रपति भवन का इतिहास और इसके कुछ रोचक तथ्य

Rashtrapati Bhavan History: भवन के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और इसके निर्माण में 700 मिलियन ईंटे और करीब 85000 घन मीटर पत्थर का इस्तेमाल हुआ है.

Rashtrapati Bhavan History: भारत के राष्ट्रपति भवन का इतिहास और इसके कुछ रोचक तथ्य
Rashtrapati Bhavan History: भारत के राष्ट्रपति भवन का इतिहास और इसके कुछ रोचक तथ्य
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Rashtrapati Bhavan History: राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है. राष्ट्रपति आवास के बारे में एक सबसे खास बात यह है कि भारत के राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन के मुख्य कमरे में नहीं रहते, बल्कि वो अतिथि कक्ष में रहते है. इसके पीछे कारण ये है कि भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल श्री सी राजगोपालाचार्य को यहां का मुख्य शयन कक्ष नहीं जमा और उन्होंने अतिथि कक्ष में रहने का फैसला किया जिसके बाद से देश के सभी राष्ट्रपति भी यही परम्परा को निभाते हुए आ रहे है.राष्ट्रपति भवनके इतिहास के बारे में बात करने से पहले कुछ इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बात करेंगे जो आपको पता होनी चाहिए.

  1. राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे है और यह दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी निवास है.
  2. भवन के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और इसके निर्माण में 700 मिलियन ईंटे और करीब 85000 घन मीटर पत्थर का इस्तेमाल हुआ है.
  3. राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) को 1950 तक वायसराय हाउस कहा जाता था. भवन के इतिहास के बारे में बात करें तो इसका निर्माण 1912 में शुरू हुआ और 1929 में इसका निर्माण पूरा हुआ यानि के इसे बनाने में पूरे 17 साल का समय लगा.
  4. भवन को बनाने के लिए ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को काम सौंपा गया
  5. राष्ट्रपति भवन के निर्माण में करीब 29 हजार लोगो ने काम किया था. 1911 में जब भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली में शिफ्ट किया गया तब इसे बनाने की जरूरत एडमिनिस्ट्रेशन को लगी और उन्होंने इसे बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया।
  6. राष्ट्रपति भवन में आज लगभग 750 कर्मचारी इसकी देख रेख के लिए काम करते है और जिसमे कि 245 सचिवालय में कार्यरत है.

मुगल गार्डन क्या है और कब खुलता है?

राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) के पीछे एक मुगल गार्डन है जो मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. केवल यह बगीचा ही 13 एकड़ में फैला हुआ है और यंहा फूलों की एक से बढ़कर एक बेहतरीन किस्मे है जिसमे कुछ विदेशी फूलों की किस्मे भी शामिल है. यह हर वर्ष लोगो के लिए केवल फरवरी-मार्च के मध्य खुलता है जिसमे आम लोग भी जाकर विजिट कर सकते है. राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्डन के बारे में एक और खास बात ये है कि यंहा विविध प्रकार के फूलों की कमाल की बहार आप देख सकते है. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन में कोई बदलाव नहीं कराया. लेकिन उन्होंने इस खास बाग को जनता के लिए खोलने की बात कही. उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह आकर्षक मुगल गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है.

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Updated on October 29, 2022 11:15 pm

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